काशीपुर। करनपुर स्थित ए.एन.झा. इन्टर कॉलेज में विद्यार्थियों की सुविधा के लिए विशाल टीनशैड का शिलान्यास विख्यात संत श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्य महाप्रभु के कर कमलों से बुधवार को कश्मीर सिंह पन्नू प्रबंधक, पंकज छाबडा, प्रधानाध्यापक, अध्यापकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर महाराज जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालकों को मानवोचित संस्कार डालकर उन्हें सुसंस्कारित करके समाज का उपयोगी एवं सुयोग्य नागरिक बनाना है। विद्या वह है जो हमें मुक्त कर दे जीवन से नहीं, वरन् अज्ञानता, अंधविश्वास, कुरीतियों, बुराइयों, भेदभाव, घृणा आदि से बच्चों को या शिक्षकों को जो भी हम सिखाएं हमें स्वयं भी अपने जीवन में उसका पालन करना चाहिए चाहे उसकी आवश्यकता ना हो तो भी अन्यथा हमारी शिक्षा का चिरस्थायी प्रभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि समाज में निरंतर हो रहे मानवता, चरित्र, नैतिकता के हृ्रास पर अत्यधिक चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की शिक्षण संस्थाएं भी विशुद्ध व्यावसायिक संस्थाएं होकर रह गई हैं। उनका भी इस क्षेत्र में योगदान लगभग नगण्य ही होता जा रहा है। जिसके लिए हमें सजग होकर ध्यान देना है स्वयं को निर्बल और असहाय व असमर्थ ना समझे अपितु निराभिमान होकर प्रभु स्मरण करते हुए सही दिशा में प्रयास करें तो संसार में कुछ भी असंभव नहीं। प्रतिभाएं सभी में है मात्र उन्हें उजागर करने की आवश्यकता होती है। लकड़ी के बेकार पड़े ठूंठ को कलाकार सुंदर आकार देकर बहुमूल्य बना देता है। बेकार पड़ी मिट्टी की कुम्हार सुंदर आकृतियां बना देता है। लुहार, सुनार आदि लोहे व सोने को सुंदर व उपयोगी बना देते हैं। माता-पिता, अभिभावक, शिक्षक व गुरुजन चाहे तो नन्हे मुन्ने बच्चों की प्रतिभाओं को निखारने में सहयोगी बनकर उन्हें समाज का एक सुयोग्य नागरिक बना सकते हैं।
