लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सबसे कुख्यात सीरियल किलर में से एक, राजा कोलंदर (असली नाम राम निरंजन कोल) को 25 साल पुराने एक दोहरे हत्याकांड के मामले में लखनऊ की CJM कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई है. इस मामले में उसके साले वक्षराज को भी दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सज़ा दी गई है. इस फैसले के साथ ही राजा कोलंदर के खूनी अध्यायों में एक और अध्याय बंद हो गया है, जिसने दशकों तक लोगों को दहशत में रखा था.
यह मामला वर्ष 2000 का है जब लखनऊ से रीवा जा रहे टैक्सी ड्राइवर रवि श्रीवास्तव और मनोज कुमार सिंह की निर्मम हत्या कर दी गई थी. उनके क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों में मिले थे. जांच के दौरान राजा कोलंदर का नाम सामने आया, जिसके बाद उसकी खूंखार आपराधिक दुनिया का खुलासा हुआ. आरोप है कि राजा कोलंदर ने इस वारदात में मारे गए लोगों के दिमाग को निकालकर उबालकर सूप पिया था, जो उसकी क्रूरता का चरम था.
राजा कोलंदर का आपराधिक इतिहास बेहद लंबा और भयावह है. उस पर 20 से अधिक हत्याओं का आरोप है. वह अपनी दरिंदगी और मानव खोपड़ियों के संग्रह के लिए कुख्यात था. पुलिस ने उसके फार्महाउस से कई मानव खोपड़ियां बरामद की थीं, जिन्हें वह पेड़ों पर टांग देता था और जाति के अनुसार रंगकर उन पर नाम लिखता था. इतना ही नहीं, वह अपनी खुद की ‘अदालत’ लगाता था और अपनी ‘अदालती डायरी’ में हत्याओं का ब्यौरा दर्ज करता था.
इससे पहले, उसे वर्ष 2000 में ही एक पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में 2012 में उम्रकैद की सज़ा सुनाई जा चुकी है. मनोवैज्ञानिकों ने उसे मनोविकृत (साइकोपैथिक) बताया है, जो स्वयं को एक स्वयंभू राजा मानता था और अपनी पत्नी का नाम ‘फूलन देवी’ तथा बेटों का नाम ‘अदालत’ और ‘जमानत’ रखता था. उसकी कहानी पर नेटफ्लिक्स पर “इंडियन प्रीडेटर: द डायरी ऑफ ए सीरियल किलर” नामक एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है.
इस नए फैसले से 25 साल पुराने एक खौफनाक मामले को न्याय मिला है, और एक बार फिर राजा कोलंदर की वहशी दरिंदगी की यादें ताज़ा हो गई हैं.
